उम्र
भर आशिक़ दुआ करता
रहा
सिर
झुका के सज़दे में
झुकता रहा
काश
ऐसा हो कि सुन
ले वो मेरी
रात
दिन बस ख़ाब एक
बुनता रहा
किस्मतों
को कुछ और मंजूर
था
हो गया वो सब
जो सोचा तक न
था
आएगा
एक दिन कभी वो
लौट के
उँगलियों
पे दिन ही वो
गिनता रहा
उम्र
भर आशिक़ दुआ करता
रहा
मेरी
आशिकी पसंद आये
मेरी
आशिकी पसंद आये…
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